पिछले कुछ दिनों से, कंचन की हायर स्टडीज को लेकर, परिवार में चिंता का माहौल था। असल में पेरेंट्स चाहते थे कि एक टॉप यूनिवसर्टिी में कंचन का एडमिशन हो जाए। एक यूनिवर्सिटी मिली तो सही, लेकिन दूसरे शहर में। अब चिंता थी, लड़की को, अनजान शहर में भेजने की। आज, डायनिंग टेबल पर, सब बिलकुल शांत बैठे थे, परेशान थे कंचन को लेकर। इतने में आनंद कहने लगा- मुझे भी, यूनिवर्सिटी में पढ़ना है। तब मुस्कुराते हुए उसकी मां बोली- बेटा, स्कूल में तो, तुम पढ़ाई करते नहीं। और यूनिवर्सिटी जाने की बात कर रहे हो।
तभी कंचन ने कहा- आप सब से, इतनी दूर, मैं, कैसे रह पाउंगी। उसके पिता ने कहा- एक नदी में, कई जीव रहते हैं। लेकिन कभी, अगर वो सूख जाए, तो सभी वहां से, चले जाते हैं। एक कहानी याद है मुझे, एक कछुआ सूखी नदी को छोड़कर भी नहीं जाता, क्योंकि वो सालों से वहीं रहता आया था। उसे उस जगह से बहुत लगाव था। एक दिन, एक कुम्हार उस सूखी नदी में, मिट्टी खोदने लगा। उसकी कुदाल कछुए को लगी। तब कछुए को पछतावा हुआ। कंचन के पिता ने उसे, हंसते हुए पूछा- क्या तुम्हें भी इसी कछुए की तरह बनना है। ये सुनकर, सभी, ठहाके मारकर हंसने लगे। असल में, परिवर्तन प्रकृति का नियम है, हमें इसे स्वीकार करना चाहिए। अगर जीवन में आगे बढ़ना है, तो चीजों से चिपके न रहें।